Namaste Sada Vatsale Matribhume | RSS Prayer

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Sangh Prathana

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना है जो जिसे संघ की शाखाओं में नियमित रूप से गाय जाता है। केशव बलिराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे। नागपुर के श्री नरहरि नारायण भिड़े द्वारा प्रार्थना का संस्कृत में रूपान्तरण किया गया। संध की प्रार्थना को सबसे पहले 23 अप्रेल 1940 को पुणे के संघ शिक्षा वर्ग में श्री यादव राव जोशी ने वर्तमान बोली जाने वाली लय में गाया। संघ की प्रार्थना में 3 श्लोक व 1 उद्घोष मिलाकर 13 पंक्तियां हैं। संघ की इस प्रार्थना (RSS Prayer) को संघ की शाखा अथवा संघ के उत्सवों व अन्य कार्यक्रमों में अनिवार्य रूप से गाया व दोहराया जाता हैं।

Prayer song of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)

The prayer song is a pledge of devotion to the nation and to working for its betterment. It expresses the desire to work for the welfare of all living beings and the commitment to follow the path of truth and righteousness. The prayer song also includes a call to be selfless in service to the nation and to strive for the unity and integrity of the country. Please find Namaste Sada Vatsale Matribhume Lyrics with Meaning.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रार्थना

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे / Namaste Sada Vatsale Matribhume राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रार्थना गीत है, इस प्रार्थना गीत को 18 मई 1940 के दिन यादव राव जोशी (Yadav Rao Joshi) जी के द्वारा नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग में गाया गया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रार्थना गीत डॉ० के० बी० हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर जी के नेतृत्व में, श्री नरहर नारायण भिड़े जी के द्वारा लिखा गया है।

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखंम वर्धितोऽहम् ।
महामंगले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्रांगभूता, इमे सादरं त्वां नमामो वयम् ।
त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम्, शभामा शिषंदेहि तत्पूर्तये॥

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्,सुशीलं जगद् येन नम्रं भवेत्।
श्रुतं चैव यत् कण्टकाकीर्णमार्गम्,स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत् ॥

समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम्,परं साधनं नाम वीरव्रतम् ।
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा,हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् ॥

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्,विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रम्,समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ॥

॥भारत माता की जय॥

Namaste Sada Vatsale

Namaste Sada Vatsale Matribhume Meaning in English

Namaste Sadaa Vatsale Matru Bhoome, Twayaa Hindu Bhoome Sukham Vardhitoham
Mahaa Mangale Punya Bhoome Twadarthe, Patatwesha Kaayo Namaste Namaste

Prabho Shaktiman Hindu Raastraanga Bhoota, Ime Saadaram Twaam Namaamo Vayam
Twadeeyaaya Kaaryaaya Baddhaa Kateeeyam, Shubhaam Aashisham Dehi Tatpoortaye

Ajyaan Cha Vishwasya Deheesha Shaktim, Susheelam Jagadyena Namram Bhaveth
Shrutam Chaiva Yat Kantakaa Keerna Maargam, Swayam Sweekritham Na Sukham Kaarayet

Samutkarsha Nishreyasasyaika Mugram, Param Saadhanam Naama Veeravratam
Tadantah Sphuratwakshayaa Dheya Nishtaa, Hridantah Prajaa Gartuteevraanisham

Vijetri Chana Samhataa Kaarya Shaktir, Vidhaayaasya Dharmasya Samrakshanam
Param Vaibhavam Netum Etat Swaraashtram, Samrthaa Bhavatwaashishaa Tebhrusham

॥ Bharat Mata Ki Jai ॥

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे हिंदी अर्थ / Namaste Sada Vatsale Matribhume Meaning in Hindi

संघ प्रार्थना (RSS Prayer) यानि आरएसएस की प्रार्थना (RSS Prarthana) रोज़ाना संघ की शाखा में गाई जाती है, संघ प्रार्थना संस्कृत में है सभी स्वयंसेवक रोज़ाना इसका उच्चारण करते हैं लेकिन सभी को हिंदी में अर्थ शायद न पता हो। ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ का पूरा अर्थ क्या है?

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।

हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है। महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥ १॥ हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे नमस्कार करता हूँ।

Namaste Sadaa Vatsale

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वाम नमामो वयम्

त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये।

हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के अंगभूत तुझे आदरसहित प्रणाम करते हैं। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे।

Prabho Shaktiman Hindu

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम, सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्,

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्॥ २॥

हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये, ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया यह कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये।

Ajyaan Cha Vishwasya

‘समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं, परं साधनं नाम वीरव्रतम्

तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा, हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्।

उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव श्रेष्ठतम साधन है। तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अंतःकरणों में सदैव जागती रहे।

Samutkarsha Nishreyasasyaik

विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्, विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्।

परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं, समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥ ३॥ ॥ भारत माता की जय॥

तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो। भारत माता की जय !

Vijetri Chana Samhataa

Namaste Sada Vatsale Matribhume PDF

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